शिक्षक दिवस पर काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन
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शाजापुर- डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस शिक्षक दिवस पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद के तत्वावधान में जिला ग्रंथालय किला परिसर में काव्य गोष्ठी एवं सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री डॉ विद्याशंकर विभूति, मुख्य अतिथि श्री डॉ दिनेश कुमार गंगोरिया एवं श्री नरेन्द्र मोहन व्यास, परिषद के अध्यक्ष जितेन्द्र देवतवाल ज्वलंत व परिषद की परामर्श दाता एवं संरक्षक श्री मती संतोष शर्मा ने मां सरस्वती के श्रीचित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलित किया। अध्यक्ष जितेन्द्र ज्वलंत ने सभी अतिथियों का पुष्पहार से स्वागत किया।
मुख्य अतिथि डॉ गंगोरिया ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों को अधिक से अधिक सुविधा देना चाहिए। शिक्षा बच्चों पर बोझ न बने एसा वातावरण बच्चों को देना चाहिए। जिन छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में आर्थिक परेशानी आ रही हो, वो मदद करने को तैयार है।
इस अवसर पर शिक्षाविद् विद्वान छात्रों को मार्गदर्शन देने वाले, गरीब छात्रों को आर्थिक मदद करने वाले, राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर आयोजित वेबिनार पर उसकी विशेषता व चुनौतियों पर अपने विचार व्यक्त करने वाले तथा कई राष्ट्रीय सेमिनार में प्रस्तुति देने वाले मोहन बड़ोदिया कालेज में प्रींसिपल के पद पर पदस्थ श्री डॉ विद्याशंकर विभूति जी का साहित्य परिषद की ओर से शाल श्रीफल से सम्मान किया गया।
श्री विभूति जी ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा स्तर में बहुत कुछ सुधार की आवश्यकता है। वर्तमान में युवा पीढ़ी दिशाहीन होती जा रही है, उन्हें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है।
श्रीमती संतोष शर्मा ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि चिराग ही घर को रोशन नहीं करते बल्कि शिक्षा कई परिवारों को रोशन कर देती हैं।
अध्यक्ष जितेन्द्र ज्वलंत का नशामुक्ति राष्ट्रीय आयोजन में काव्य पाठ में चयन होने पर गोल्डन बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में नाम शामिल होने पर उनका भी सम्मान किया गया।
मालवी कवि बालकृष्ण जी सूर्यवंशी के मालवीय गीत से काव्य गोष्ठी का प्रारंभ हुआ। कवि पंकज नागर, मशहूर शाजापुरी, कविता पुण्तांबेकर, श्रीमती संतोष शर्मा, अमन जादोन, नरेंद्र मोहन व्यास, देव शर्मा, सज्जाद अहमद कुरेशी, जितेन्द्र देवतवाल ज्वलंत, अशोक योगी, राधेश्याम भाटिया आदि ने अपनी रचनाएं प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन श्रीमती संतोष शर्मा ने किया तथा आभार ग्रंथपाल श्री प्रमोद जी वैद्य ने माना।
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