भागवत कथा में गोवर्धन लीला का वर्णन
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नलखेड़ा – क्षेत्र के ग्राम पढ़ाना एवं धंदेड़ा के मध्य स्तिथ श्री देवझरी देवनारायण मन्दिर् में चल रही सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के पंचम दिन भागवत कथा प्रवक्ता श्री अलखनंदा दीदी ने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया। कथा के दौरान गोवर्धन धारण की लीला के प्रसंग के दौरान गोवर्धन महाराज थाके माथे मुकुट बिराज रहयो… भजनों के साथ भगवान गिर्राजधरण गोवर्धन पर्वत को उठाते हुए एवम छप्पन भोग की झांकी सजाई गई। प्रसंग में बताया गया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व चूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया | सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ। इस मौके पर गोवर्धन लीला की झांकी भी सजाई गई। कथा के दौरान गोवर्धन पूजन का उत्सव उल्लास के साथ मनाया गया। संगीतमय कथा के दौरान भजनों पर पांडाल में उपस्थित श्रद्धालु भजनाें पर नाचते रहे
रात्रि कालीन देव नारायण जी कि कथा में मनाया विवाह उत्सव
मंदिर परिसर में रात्रि काल में चल रही श्री देवनारायण जी की कथा में छटे दिन में श्री देवनारायण भगवान की बाल लीला एवं उनके विवाह प्रसंग का वर्णन किया गया विवाह प्रसंग में श्री देवनारायण जी का आकर्षक श्रंगार कर बारात यात्रा निकाली गयी मायरे का कार्यक्रम भी रखा गया धूमधाम से श्री देवनारायण एवं पीपलदे महारानी विवाह रचाया गया कथा वाचक श्री श्याम सुन्दर शर्मा जी ने कई भक्ति भाव के सुन्दर भजनो द्वारा सभों को मंत्र मुग्ध कर दिया जिससे पंडाल में उपस्थिति भक्त जन झूम उठे।
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